ऐसी खबर छपी है मौला, आज के अख़बार में.
लुट गई सब्जी की झोली, एक बच्चे की बाज़ार में..
लुट गई सब्जी की झोली, एक बच्चे की बाज़ार में..
आलू, गोभी, परबल, भिन्डी, सौ-सौ ग्राम था झोली में.
मन में ख़ुशी, आँखों में चमक, रस भरा था उसकी बोली में.
माँ खड़ी थी चूल्हा जलाये, बेटे के इंतज़ार में -----
लुट गई सब्जी की झोली, एक बच्चे की बाज़ार में-----
मन में ख़ुशी, आँखों में चमक, रस भरा था उसकी बोली में.
माँ खड़ी थी चूल्हा जलाये, बेटे के इंतज़ार में -----
लुट गई सब्जी की झोली, एक बच्चे की बाज़ार में-----
सारे शहर में चर्चे हो गए, सब्जियों के लुट जाने की.
बीमा वाले घर घर पहुंचे, नींद उड़ गई थाने की.
आलू प्याज हो जिनके घर, वो ताले जड़ दिए द्वार में----
लुट गई सब्जी की झोली, एक बच्चे की बाज़ार में----
बीमा वाले घर घर पहुंचे, नींद उड़ गई थाने की.
आलू प्याज हो जिनके घर, वो ताले जड़ दिए द्वार में----
लुट गई सब्जी की झोली, एक बच्चे की बाज़ार में----
सोने-चाँदी का क्या कहना, प्याज रखते लॉकर में.
रात जागकर सोते जिस दिन, सब्जी आती है घर में.
पास पड़ोस से डर लगता, कुछ मांग न ले उधार में----
लुट गई सब्जी की झोली, एक बच्चे की बाज़ार में--
रात जागकर सोते जिस दिन, सब्जी आती है घर में.
पास पड़ोस से डर लगता, कुछ मांग न ले उधार में----
लुट गई सब्जी की झोली, एक बच्चे की बाज़ार में--
प्रकाशित : २६ अक्टूबर २००९ - rachanakar.blogspot.com
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