रविवार, फ़रवरी 28, 2010

कुरसी हो गयी मैली -- सुजान पंडित


यारों फिर से सावन आया, सोच समझ कर बोना है|
कुरसी हो गयी मैली उसको गंगाजल से धोना है||
१. तन पर होंगे खादी, बोली मिस्री सी होगी मीठी| 
शुभचिंतक बन साथ रहेंगे, जब तक कुरसी नहीं मिलती|| 
जौहरी बनकर चुनना होगा, हमको खांटी सोना है ---
यारों फिर से सावन आया, सोच समझ कर बोना है ---
२. जेपी, लोहिया, मौलाना का रूप सजाकर आयेंगे| 
उनके उपदेशों की सीडी, रिमिक्स कर बजवाएंगे||
लेकिन इन बहुरूपियों पर हम सबको फ़िदा न होना है--- 
यारों फिर से सावन आया, सोच समझ कर बोना है---
3. होशियारी हो अब इतनी कि, शाख पे उल्लू न बैठे|
देख चुके अंजामें गुलिस्ताँ, फिर से गुलों को न लूटे||
पाक साफ माली से अपने गुलशन को संजोना है --- 
यारों फिर से सावन आया, सोच समझ कर बोना है ---
प्रकाशित : ३१ अक्टूबर २००९ - rachanakar.blogspot.com

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