सोमवार, मार्च 01, 2010

कुरसी की लीला -- सुजान पंडित


दो एकम दो, दो दूनी चार| 
कुरसी की लीला अपरम्पार||
दो तीया छः, दो चौके आठ| 
कुरसी बना दे धन सम्राट||
दो पंचे दस, दो छके बारह| 
कुरसी चमकाए किस्मत का तारा||
दो सते चौदह, दो अठे सोलह|
कुरसी बिगाड़े नीयत औ चोल||
दो नवें अठारह, दो दहायं बीस| 
कुरसी दिलवा दे बैंक स्विस||
प्रकाशित: ६ नवम्बर २००९ - rachanakar.blogspot.com 
 

कोई टिप्पणी नहीं: