पंद्रह अगस्त आया, जन गण मन मुसकाया।
नील गगन पर तीन रंग का विजय ध्वज लहराया॥
१) घर घर में हर आंगन में, सूरज किरण बिखेरा।
जुल्मों के अंधेरेपन में, आया नया सवेरा॥
मिलकर दसों दिशाएं सबसे पहले शीश झुकाया-
नील गगन पर--
२) आज यहां न कोई हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई।
सब है भारत मां के बेटे सब है भाई-भाई॥
कोई न अपना कोई पराया सबको गले लगाया-
नील गगन पर--
३) समता और स्वतंत्रता का आदर्श हमें सुहाया।
जीयो जीने दो की कसमें सबने मिलकर खाया॥
जनगण मन अधिनायक जय हे, का त्योहार है आया-
नील गगन पर--
प्रकाशित : २९ सितम्बर २००७ - rachanakar.blogspot.com
सोमवार, मार्च 01, 2010
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