सोमवार, मार्च 01, 2010

प्यारा मेरा वतन है -- सुजान पंडित


सोने की ये धरा है, चांदी का ये गगन है।
मोती से फूल इसके, कितना हसीं चमन है॥
सारे जहाँ से सुंदर प्यारा मेरा वतन है --
प्यारा मेरा वतन है --

1- इसके सुबह सुहाने, संध्या है इसकी प्यारी।
मौसम है खुशनुमा जो देता नई जवानी॥
हर ओर ताजगी है, कण-कण में मस्तियाँ है।
चेहरे पे ज़िन्दगी की, चढ़ता है शोख पानी||
पंक्षी भी गा रही है, हर पल नया सुरन है ---
मोती से फूल इसके, कितना हसीं चमन है ---

2- पूरब में बंग हंसता हुआ टैगोर का है।
पश्चिम में रंग खिलता हुआ मेवाड़ का है ||
उत्तर में वादियाँ है कश्मीर की सुहानी।
दक्खिन में ढंग सजता हुआ मद्रास का है||
दामन में जिसके बहते गंगा और जमन है---
मोती से फूल इसके, कितना हसीं चमन है ---



3- नेहरू की है ये धरती, गांधी का ये चमन है।
इंदिरा की है ये बस्ती, सुभाष का सपन है॥
मोती, तिलक, बहादुर, लक्ष्मी, भगतसिंह है|
होकर शहीद पाए आजाद ये वतन है||
मिलकर रखेंगे इसके सुजान चैन-अमन है---
मोती से फूल इसके, कितना हसीं चमन है ---


प्रकाशित : ८ नवम्बर २००७ - rachanakar.blogspot.com

कोई टिप्पणी नहीं: