सात स्वरों में छुपा हुआ है, आपस का भाईचारा॥
१) सा, सिखलाता है सबको, सबका ईश्वर एक है।
रे, कहता है रे मनवा, राम-रहिमन एक है॥
ग, की वाणी है अनमोल, ज्ञान की आंखें अपनी खोल,
म से मंदिर म से मस्जिद ---
२) प, के स्वर में प्यार बसा है, प्यार इबादत प्यार है पूजा।
ध, है सब धर्मों की धरती, नाम अलग है न कोई दूजा॥
नि, का निश्छल निर्झर तानें, कहता जय जय हिन्दुस्तान।
शत् शत् हो तुझको परनाम, शत् शत् तुझको हो परनाम,
म, से मंदिर, म, से मस्जिद ---
प्रकाशित : २९ सितम्बर २००७ - rachanakar.blogspot.com
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