सोमवार, मार्च 01, 2010

छब्बीस जनवरी का त्यौहार -- सुजान पंडित

छब्बीस जनवरी का त्यौहार फिर से आया रे |
मैली कुरसी में नूतन, कवर चढ़ाया रे ||

चौराहों पर सुबह सुबह, फ़िल्मी गाने बजने लगे |
खादी की टोपी कुरता से, नेताजी सजने लगे ||
पिछले भाषण के पन्ने में पैच लगाया रे ---
मैली कुरसी में नूतन, कवर चढ़ाया रे ---

गुडमोर्निंग नहीं आज बोलना, जयहिन्द से विश करना है |
असली चेहरा छुपा रहे, रंग में ऐसे रंगना है ||
नौटंकी के मंझे खिलाडी, जन-गण गाया रे ---
मैली कुरसी में नूतन, कवर चढ़ाया रे ---

तिरसठ साल से सुपर पवार के कैसेट बजाते हैं |
झंडे बेच के कुछ बच्चे, रोटी आज भी खाते हैं ||
ख्वाबों में जीने वालों ने ख्वाब सजाया रे ---
मैली कुरसी में नूतन, कवर चढ़ाया रे ---
प्रकाशित : २६ जनवरी २०१० - rachanakar.blogspot.com

कोई टिप्पणी नहीं: