मंगलवार, मार्च 23, 2010

महाशिवरात्रि के अवसर पर -- सुजान पंडित



कब आवोगे भोले शंकर, मेरे घर के दर पर |
बीत गयी है सारी उमरिया, जल देते पीपल पर ||

सुना था एक पड़ोसी से, सस्ते में पट जाते हो |
चाह नहीं कुछ लेने की, बस देते ही तुम जाते हो ||
मुझको भी दो चंद आइडिया, कब तक रहें सफ़र पर ---
बीत गयी है सारी उमरिया, जल देते पीपल पर ---

सुबह-सुबह एक बच्चा तेरे नाम का माला जपता है |
पूरी हो जाती इच्छाएँ, जो भी मन में रहता है ||
मैं तुम्हारा भक्त पुराना, लटक रहा हूँ अधर पर ---
बीत गयी है सारी उमरिया, जल देते पीपल पर ---

चाँद, सितारे, वायु, जल, थल, तेरे दम से चलते हैं |
जब तक तेरा ऑर्डर न हो, पत्ते भी नहीं हिलते हैं ||
इतनी शक्ति तुझमें फिर भी, कृपा नहीं क्यों मुझ पर ---
बीत गयी है सारी उमरिया, जल देते पीपल पर ---

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