रविवार, फ़रवरी 28, 2010

दीपावली में अबकी बार -- सुजान पंडित



 दीपावली में अबकी बार, बात नयी कर जायेंगे|
एक गरीब के आंगन में, जाकर दीप जलाएंगे||

१. पकवानों से सजी सजाई, रखी मेज पर थालियाँ|
कुछ खाते कुछ खा जाती, पास पड़ोस की बिल्लियाँ||
जिनके घर में खाली बरतन, उनका थाल सजायेंगे ---
एक गरीब के आंगन में, जाकर दीप जलाएंगे ---

२. धनतेरस में मन था अपना, गाड़ी बंगला लेने का|
शुभदिन है लक्ष्मी माता को अपने घर बुलाने का||
तज के मन की आकंक्छा को,  एक चूता छप्पर छानेंगे ---
एक गरीब के आंगन में, जाकर दीप जलाएंगे ---

3. आतिशबाजी की धम धम से, गूंज रहा है घर आंगन|
जगमग दीप जला है ऐसे, धरती बन गयी नील गगन||
काली रातें हैं जिनके घर, उनको चाँद दिखाएंगे---
एक गरीब के आंगन में, जाकर दीप जलाएंगे ---

प्रकाशित : १५ अक्तूबर २००९ - rachanakar.blogspot.com / Prabhat Khabar, Ranchi

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